love Shayri in Hindi for BoyFriend GirlFriend
जल्दबाज़ी में अब बस सांस ही ली जाती है...
ज़िन्दगी कहाँ अब फुरसत से जी जाती है...
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पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना
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ऐ कलम जरा झुक कर चल गजब का मुकाम आया है
तेरी नोक के नीचे मेरे दोस्त का नाम आया है
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कहीं यादो का मुकाबला हो तो बताना यारो,
मेरे पास भी कीसी की यादें बेहीसाब होती जा रही है !!
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आओ इन कमरो के आइने उठाकर फैक दै......
बेअदब ये कह रहे है हम पुराने हो गये......
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दो गज से जरा ज्यादा जगह देना कब्र में मुझे,
की किसीकी याद में करवट बदले बिना मुझे नींद नहीं आती !!
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अज़ीब पहेली है कहीं रिश्तों के नाम ही नहीं होते..,
और कहीं पर सिर्फ नाम के ही रिश्ते होते है... ,
वक़्त बदल जाता है इंसान बदल जाते हैं...
वक़्त वक़्त पे रिश्तों के अंदाज़ बदल जाते हैं...
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ना जाने क्यों रेत की तरह..
हाथों से निकल जाते हैं
वो लोग...
जिन्हें जिन्दगी समझ कर..
हम कभी
खोना नहीं चाहते...
🐬🐬
नहीं निकल पायेगें हाथों से
गर रखो दिल में नफरत की कमी
हाथों में मोहब्बत की नमी
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मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं
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जरूरत की तो सिर्फ जरूरत होती है
बात ही सिर्फ मोहब्बत की होती है
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लोग कहते है तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ है।
यदि लोग सच में एक दुसरे के साथ होते
तो संघर्ष की जरुरत ही नहीं पड़ती।
बात कड़वी है पर सच है....
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कुछ मीठी सी ठंडक है
आज इन हवाओं में...!
शायद तेरी यादों से भरा दराज़
खुला रह गया है...!!
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मत दे दुआ किसी को
अपनी उमर लगने की,
यहाँ ऐसे भी लोग है
जो तेरे लिए जिन्दा हैं !!
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वो तो बारिश कि बूँदें देखकर
खुश होते हैं,
उन्हें क्या मालूम
कि हर गिरने वाला कतरा
पानी नही होता।
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" सुना है दोस्ती लाजबाब
करते हो तुम.....!!
" लो हमने दे दिया दिल ❤.....!!
" अब देखते हैं इसका क्या हाल
करते हो तुम.. 💖❤💖
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बहुत ही खूबसूरत है, तेरे अहसास की खुश्बू,
जितना भी सोचते है, उतना ही महक जाते हैं.!!
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“शिकायतें वहाँ होती हैं....
जहाँ ऐतबार ना हो...,
मेरा तो यकीन ही तुम हो....
तो शिकायत कैसी...।”
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हकीकत में ये ख़ामोशी हमेशा चुप नहीं होती।
कभी तुम ग़ौर से
सुनना ये बोहत क़िस्से सुनाती है।
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मुझे नफरत पसंद है,,,,
मगर
दिखावे का प्यार नहीं..
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हम तेरे इश्क़ के उस मुक़ाम पर आ पहुचे है ..
जहाँ दिल किसी और को चाहे तो गुनाह लगता है..
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क्या बोलेगी क्या लफ्ज बयां करेगी
जिसकी हर अदा इक गूफ्तगू सी करती हैं
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ये कमाल शायरी का नही
तेरी हौसलाअफजाई का है
सुनने को तेरी वाह वाह लफ्ज खुद ब खुद उतर आते हैं
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लो इनकी कमी थी रगं ओ गुलिस्तां में
आप का आना कुछ यूं हुआ
हर तरफ इक खुशनुमा बहार छा गई
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अधूरे से रहते मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना..!!
मानो जैसे मेरी हर शायरी की रूह तूम ही हो....!!
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कोई सहारा नहीं दुआ के सिवा,
कोई सुनता नीं खुदा के सिवा,
मैने भी जिन्दगी को करीब से देखा है,
मुश्किलों में कोई साथ नहीं खुदा के सिवा
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ना ये महफिल अजीब है, ना ये मंजर अजीब है; जो उसने चलाया वो खंजर अजीब है; ना डूबने देता है, ना उबरने देता है; उसकी आँखों का वो समंदर अजीब है।
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*खुदा ने इश्क मे क्या इम्तियाज रखा है,*
*वही जो मर्ज है उसको इलाज रखा है..*
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जीने की नयी अदा दी है, खुश रहने की उसने दुआ दी है, ऐ खुदा मेरे दोस्तों को सालामत रखना, जिसने अपने दिल में मुझे जगह दी है |
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मोहब्बत में मैंने क्या कुछ नहीं लुटा दिया... "उस को पसंद था अँधेरा और मैंने खुद को बुझा दिया..."
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जब मैं डूबा तो समंदर को भी हैरत हुई मुझ पर
कितना तन्हा शख्स है, किसी को पुकारता भी नही
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हर पल में प्यार है,
हर लम्हे में ख़ुशी है,
कह दो तो यादें हैं,
जी लो तो जिन्दगी हैं !!
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धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
पत्थरों में भी ज़ुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दरोदीवार सजा कर देखो
फ़ासला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है
वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो
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मुद्दत में वो फिर ताज़ा मुलाक़ात का आलम,
ख़ामोश अदाओं में वो जज़्बात का आलम,
अल्लाह रे वो शिद्दत-ए-जज़्बात का आलम,
कुछ कह के वो भूली हुई हर बात का आलम,
आरिज़ से ढ़लकते हुए शबनम के वो क़तरे,
आँखों से झलकता हुआ बरसात का आलम,
वो नज़रों ही नज़रों में सवालात की दुनिया,
वो आँखों ही आँखों में जवाबात का आलम
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बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीँ जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
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कौन दोहराए पुरानी बातें
ग़म अभी सोया है जगाये कौन
वो जो अपने हैं, क्या वो अपने हैं
कौन दुःख झेले, आजमाए कौन
अब सुकून है तो भूलने में है
लेकिन उस शख्स को भुलाए कौन
आज फ़िर दिल है कुछ उदास-उदास
देखिये आज याद आए कौन
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दिल के दीवारो दर पे क्या देखा
बस तेरा नाम ही लिखा देखा
तेरी आंखों में हमने क्या देखा
कभी कातिल कभी खुदा देखा
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मोहब्बत है तुमसे इसलिए नजर अंदाज नहीं किया कभी...
वरना बेरुखी तुमसे कहीं बेहतर जानते हैं हम।
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जिस जिस ने मुहब्बत में,अपने महबूब को खुदा कर दिया,
खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए,उनको जुदा कर दिया|
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कल तक उड़ती थी जो मुँह तक ,
आज पैरों से लिपट गई ।
चंद बूँदे क्या बरसी बरसात की ,
धूल की फ़ितरत ही बदल गई ।।
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थकी-टूटी हुई नींदों के दरमियान अक्सर...
बहुत चुपके से जाग उठती हैं आपकी यादें......
उन यादों को कभी लफ्जों में ढाल दिया करो
खुद को भी कभी सभांल लिया करो
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छोडो वफ़ा बे वफाई की तकरार
आज फैसला ही करते हे
चल मेरे साथ सदा के लिए
वरना ले चल मुझे सदा के लिये
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' भुलना सीखिए जनाब.....।
एक दिन दुनिया भी वही....
करने वाली है.!!
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जी करता है मुफ्त में ही उसे अपनी जान भी दे दूँ .
इतने मासूम खरीददार से क्या लेन – देन करना .
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थोड़ी मस्ती, थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ
कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ
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"तू जी भर कर
चाह ले उस को
जिस को तेरा दिल करता है,,
"मुझे भी ये देखना है
क़ि मेरे बाद कौन तुझे इस कद्र प्यार करेगा"
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अजीब रंग में गुजरी है जिंदगी अपनी
दिलो पर राज किया और मोहब्बत को तरसे..!!
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जब से एक बेवफा का हमारे दिल मे बसेरा हो गया,
दिल तो दिल था पर मेरा साया भी हमसे दूर हो गया.
भरोसा था प्यार से रोशन होगी ज़िंदगी मेरी,
उस बेवफा ने ऐसा धोखा दिया के ज़िंदगीभर अंधेरा हो गया.
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तुज़े शिकायत है के मूज़े बदल दिया शब-ओ-रोज़ ने,
कभी खुद से बी तो सवाल कर तू वोही है या कोई ओर है..
मेरी वफ़एँ याद करोगे,
रो’गे फरियाद करोगे,
मुजको तो बर्बाद किया हे,
अब ओर किसे बर्बाद करोगे.
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हर दिल का एक राज़ होता है,
हर बात का एक अंदाज़ होता है ..
जब तक ना लगे बेवफ़ाई की ठोकर ,
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है..
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