Tuesday, 28 June 2016

Dosto ke liye dua shayari Hindi

Dosto ke liye dua shayari Hindi

हर दिल अजीज़ हो तुम 
मैं नाचीज़ तुम पर क्या लिखूं 
झील में खिलता कमल लिखूं , सरगोशियां करती पवन लिखूं.
पूनम की निशा का चांद लिखूं , भोर का सुहाना आफताब़ लिखूं ,
सागर की मचलती लहर लिखूं, परबत की मस्त सहर लिखूं , 
बारिश की ठंडी फुहार लिखूं, सावन की मस्त बयार लिखूं , 
नदिया में होती कलकल लिखूं, बादलों में होती हलचल लिखूं , 
शहद सी मीठी बात लिखूं, संगीत के सुर वो सात लिखूं ,
कुछ भी तो तुम जैसा नहीं हैं ,तो क्या लिखूं  !
सबकुछ तुमसे कमतर हैं, तो क्या लिखूं  !

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तू क्या जाने तू क्या है 
बारिश आये तो झूमती हवा है !

सर्दियों की गुनगुनी धूप है 
सुहाने मौसम में इंद्रधनुष सा रूप है !
बसंत की ईठलाती बयार है 
खिले हुये गुलशन की बहार है 
तू सावन की ठंडी फुहार है 
तू ग्रुप में हर मन की पुकार है 

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मन की आंखो से प्रभु का दीदार करो...
दो पल का है अन्धेरा बस सुबह का इन्तेजार करो..
क्या रखा है आपस के बैर मे ए यारो ,
छोटी सी है ज़िंदगी बस , हर किसी से प्यार करो.

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मत फेर ....

बहते पानी में ऊँगलियाँ..

सारा दरिया ...

शराब हो जायेगा...

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"हर मुलाकात पर वक्त का तकाज़ा हुआ..
हर याद पे दिल का दर्द ताजा हुआ..
सुनी थी सिर्फ हमने गज़लों मे जुदाई की बातें..
अब खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ."

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मंज़िले तो कब से हाथ फैलाये खड़ी है,
उन्हें बस तेरी रवानगी की जरुरत है,
बस याद रखना है मेरे यार इतना ,
ये वो राहें है, जिन्हें तेरी दीवानगी की जरुरत है.

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"हर मुलाकात पर वक्त का तकाज़ा हुआ..
हर याद पे दिल का दर्द ताजा हुआ..
सुनी थी सिर्फ हमने गज़लों मे जुदाई की बातें..
अब खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ."

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बच न सका ख़ुदा भी मोहब्बत के तकाज़ों से,एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला..

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समंदर के लिए वो लहरे क्या जिसका कोई किनारा ना हो …..
तारो के लिए वो रात क्या जिसमे चाँद ना हो
हमारे लिए वो दिन ही क्या….
जिस मे आप की याद ना हो……

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शायरों की महफ़िलों में हम इसलिए भी जाते हैं
हम से बिछड़ कर शायद वो भी शायर हो गयी हो

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किस की जुर्रत मेरे होश मे लुटे मुझे को,
वो तो दुनिया तेरी बातों मे लगा देती है.

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तुम जानते हो मेरी जिन्दगी की सबसे कीमती चीज क्या है .
बस इस मैसेज का पहला लफ्ज ....

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उसने पूछा कोई आखिरी ख्वाहिश.... जुबान पर आ गया सिर्फ तुम...!!!

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इतनी हिम्मत तो नहीं किसी को हाल –ये –दिल सुना सके , बस जिसके लिये उदास है बो महसूस करे तो काफी है ...!!!

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दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो... 
इन्तजार उसका.. जिसको एहसास तक नहीं

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"कोई दौलत पर नाज़ करते हैं, 
कोई शोहरत पर नाज़ करते हैं, 
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो, 
वो अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं."

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क़दमों से चल के पास तो आते हैं ग़ैर भी
आप आ रहे हैं पास तो कुछ दिल से आईए ...

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दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मे हर पल याद करू,
खुदा ने बस इतना सिखाया हे मुझे
कि खुद से पहले आपके लिए दुआ करू..

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हर मर्ज़ का इलाज
 नहीं दवाख़ाने में,

कुछ दर्द चले जाते है 
सिर्फ़ मुस्कुराने में !!

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वही अदब, वही तहज़ीब, वही ख़ुलूस और वही मुहब्बत....


उफ़...
वो शख्स़ मुझे जब भी मिलता है, उर्दू सा लगता है...!!!

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या तो हमें मुकम्मल चालाकियाँ सिखाई जाएँ,

नहीं तो मासूमों की अलग बस्तियाँ बसाई जाएँ

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"अगर तुम उड़ नहीं सकते तो, दौड़ो ! अगर तुम दौड़ नहीं सकते तो, चलो !
अगर तुम चल नहीं सकते तो, रेंगो !
पर आगे बढ़ते रहो"

अपनी सोच ओर दिशा बदलो
सफलता आपका स्वागत करेंगी... 
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी एक अच्छा जूता पहनकर उस पर चला जा सकता है। लेकिन यदि एक अच्छे जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो तो एक अच्छी सड़क पर भी कुछ कदम भी चलना मुश्किल है। 
यानी - "बाहर की चुनौतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों
से हारते हैं"....
हमारे विचार ही हमारा भविष्य तय करते हैं..!

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"हर मुलाकात पर वक्त का तकाज़ा हुआ..
हर याद पे दिल का दर्द ताजा हुआ..
सुनी थी सिर्फ हमने गज़लों मे जुदाई की बातें..
अब खुद पे बीती तो हकीकत का अंदाजा हुआ."

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इस अहद के इन्साँ मे वफ़ा ढूँढ रहे हैं ;
हम ज़हर की शीशी मे दवा ढूँढ रहे हैं,
दुनिया को समझ लेने की कोशिश में लगे हम ;
उलझे हुए धागों का सिरा ढूँढ रहे हैं,
पूजा में, नमाज़ों में, अज़ानों में, भजन में ;
ये लोग कहाँ अपना ख़ुदा ढूँढ रहे हैं,
पहले तो ज़माने में कहीं खो दिया ख़ुद को ;
आईने में अब अपना पता ढूँढ रहे हैं.

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हम आईना साफ करते रहे 
धूल हमारे चेहरे पर थी

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खूबसूरत सा वो पल था ...
पर,क्या करें वो कल था !!

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दिल की बातें,बता देती है आखें,
धडकनों को जगा देती हैं ऑंखें,
दिल पर चलता नही जादू,चेहरों का कभी,
दिल को तो,दीवाना बना देती हैं ऑंखें.

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तू बारिश जैसी, मै मिट्टी जैसा
तू बरसती रहे, मैं महकता रहूँ

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लोग दौलत देखते हैं,
हम इज़्ज़त देखते हैं,लोग मंज़िल देखते हैं,
हम सफ़र देखते हैं,लोग दोस्ती बनाते हैं,
हम उसे निभाते हैं.

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हम वक्त गुजारने के लिए
दोस्तों को नही रखते,
दोस्तों के साथ रहने केलिए वक्त रखते है

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तू क्या जाने तू क्या है 
बारिश आये तो झूमती हवा है !

सर्दियों की गुनगुनी धूप है 
सुहाने मौसम में इंद्रधनुष सा रूप है !
बसंत की ईठलाती बयार है 
खिले हुये गुलशन की बहार है 
तू सावन की ठंडी फुहार है 
तू ग्रुप में हर मन की पुकार है 


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