हिंदी में शायरी - Dosti Friendship Love Shayari Hindi
हिंदी में शायरी - Dosti Friendship Love Shayari Hindi- दोस्त संबंध नही जो मिट जाए,
उमर नही जो ढल जाए,
सफर नही जो कट जाए,
यह तो वो एहसास है,
जिसके लिए जिया जाए...
तो ज़िंदेगी भी कम पड़जाएे.
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काश वो भी आकर हम से कह दे...
मैं भी तन्हाँ हूँ...
तेरे बिन...
तेरी तरह...
तेरी कसम...
तेरे लिए....
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नाराजगी को कुछ देर चुप रहकर मिटा दिया आपने ।
गलतीयों पर बात आगे ना करकेे रिश्तों को सुलझा दिया आपने
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ए दोस्त गम ना कर
तकदीर बदलती रहती है
शीशा शीशा ही रहता है
तस्वीर बदलती रहती है...
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दिल में जोर से दस्तक दे रहा है कोई...
लगता है यादों के आने का वक़्त हो गया..
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हम रूठे दिलो को मानने में रह गये..
गैरो को अपना दर्द सुनने मे रह गये..
मंज़िल हमारे करीब से गुज़र गयी..
और हम औरो को रास्ता दिखाने मे रह गये.!!
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जो दिल को अच्छा लगता है,
उसी को दोस्त कहता हूँ,
मुनाफ़ा देखकर रिश्तों की,
सियासत मै नही करता,,,,
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मेरे और तेरे बीच बस यही रिश्ता रह गया है,
तु मेरे पोस्ट पढ़ती है और मैं तेरे लाईक देखता हूँ..
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वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से
मैं ऐतबार न करता तो और क्या करता
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कुछ पल खामोशियों में खुद से रूबरू हो लेने दे यार,
ज़िन्दगी के शोर में खुद को सुना नहीं, मुद्दतों से मैंने।
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काश दिल की आवाज़ का
इतना असर हो जाए
हम उन्हे याद करे
और उन्हे खबर हो जाए
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ज़रूर तुमको किसीने दिल से पुकारा होगा,
एक बार तो चाँद ने भी तुमको निहारा होगा,
मायूस हुए होंगे सितारे भी उस दिन,
खुदा ने जब ज़मीन पर तुमको उतरा होगा
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दोस्तों के दास्तान जब वक़्त सुनाता है
तो हमें भी कोई दोस्त याद आता है
भूल जाते है हम जिंदगी के गम को
जब आपके साथ बिताया वक़्त याद आता है
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तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है,
एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है,
पहले नही सोचा था अब सोचने लगे है हम,
जिंदगी के हर लम्हों में तेरी ज़रूरत सी लगती है
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ढलती शाम का खुला एहसास है ,
मेरे दिल में तेरी जगह कुछ खास है ,
तू नहीं है यहाँ मालूम है मुझे ...
पर दिल ये कहता है तू यहीं मेरे पास है
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मेरे ऐब मुझे उंगलिओं पे गिनाओ यारो,
बस मेरी गैर- मौजूदगी मैं मुझे बुरा मत कहना..।।
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कुछ तो धड़कता है ,रूक रूक कर मेरे सीने में ..
अब खुदा ही जाने, तेरी याद है या मेरा दिल …
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आंखों के किनारे भीगे नहीं,
तो वो समझे की रोए नहीं।
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कुछ खास नही बस इतनी सी है मोहब्बत मेरी,
हर रात का आख़िरी ख्याल और,
हर सुबह की पहली सोच हो तुम
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ना छेड़ किस्सा ए उल्फत ,
बड़ी लम्बी कहानी है ।।
मैं जमाने से नहीं हारा ,
बस किसी की बात मानी है…..
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“हमारे आंसूं पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं,
उनकी इस अदा से वो दिल को चुराते हैं,
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को,
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं।”
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उस मासूम शराब की मोहब्बत भी क्या खूब थी ।।
जालिम एक बार लबो पे लगी तो फिर कभी उसने बेवफाई ना की।।
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नहीं बसती किसी और की सूरत अब इन आँखो में,
काश कि हमने तुम्हें इतने गौर से ना देखा होता।
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