Wednesday, 24 February 2016

Hindi love shayari for girlfriend boyfriend

Hindi love Shayari for girlfriend boyfriend

Hindi love Shayari for girlfriend boyfriend Husband-wife


 इतना भी जरूरी न था कि मैं कुछ बोलूं
या कुछ बोलो ही तुम 
हम ने महसूस किया ही है 
कि टूटता ही है कुछ न कुछ
बोलने से 
नहीं बोलने का अर्थ 
खामोशी ही नहीं, कुछ और भी होता है 🌹

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हर एक चेहरे पे गुमान उसका था
बसा ना कोई दिल में ये खाली मकान उसका था
.
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तमाम दुःख मेरे दिल से मिट गए, लेकिन
जो न मिट सका वो एक नाम उसका था

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 चाहता है दिल किसी से राज़ की बातें करें 
फूल आधी रात का आँगन में है महका हुआ
फिजां मे महक रात चांदनी है मगर 
शहर सोया जान पडता है

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एक अरसे से आंखों से आंसू न बहे
इतने मशरूफ हम इस जमाने में रहे

कौन आगे बढ़ा, कौन पीछे रहा, कौन ठहर गया
इन्हीं बेकार की बातों में उलझे से रहे

भरे बाजार में सबने हमें पराया समझा
ऐसे माहौल में अपने भी गैरों से रहे

आज दिल में मेरे रोने की तड़प जागी तो
रातभर हम कोई बहाना ढूंढते से रहे🌺

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नहीं बोलने का अर्थ 
खामोशी ही नहीं, 
कुछ और भी होता है 

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मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है,
ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था..

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उसकी 'मोहब्बत' का अब कैसे हिसाब हो...,
जो 
गले लगा कर कहती है की आप बड़े खराब हो.!!

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कागज के फूलों की खूशबू भर जाती है आंखों में
तेरे इन पुराने खतों में तेरा साया दिखता है

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देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं,
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं,
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से,
फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं।

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यू नजर से बात की और दिल चुरा गए,
अन्धेरो के साए मे धडकन सुना गए,
हम तो समझते थे अजनबी आपको,
आप तो हमको अपना बना गए।

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हर एक चेहरे पे गुमान उसका था
बसा ना कोई दिल में ये खाली मकान उसका था
.
.
..
तमाम दुःख मेरे दिल से मिट गए, लेकिन
जो न मिट सका वो एक नाम उसका था

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मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे;
छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश हैं!
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कदम कदम पर बहारो ने साथ छोडा ,
जरुरत पडने पर यारो ने साथ छोडा ,
बादा किया सितारोँ ने साथ निभाने का ,
सुबह होने सितारो ने साथ छोडा .

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.....मै यादों का 
किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत 
याद आते हैं....

...मै गुजरे पल को सोचूँ 
तो, कुछ दोस्त 
बहुत याद आते हैं....

.....अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से....

....मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त 
बहुत याद आते हैं....

....कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
....कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
....मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
....कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

....सबकी जिंदगी बदल गयी,
....एक नए सिरे में ढल गयी,

....किसी को नौकरी से फुरसत नही...
....किसी को दोस्तों की जरुरत नही....

....सारे यार गुम हो गये हैं...
.... "तू" से "तुम" और "आप" हो गये है....

....मै गुजरे पल को सोचूँ 
तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं....

...धीरे धीरे उम्र कट जाती है...
...जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है,
...कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है...
और कभी यादों के सहारे ज़िन्दगी कट जाती है ...

.....किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते, 
....फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते...

.....जी लो इन पलों को हस के दोस्त, 
फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते ... !!!

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चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते

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 इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये॥
आप दरिया हैं तो फिर इस वक्त हम खतरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिये॥

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 शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तों
बहला रहे हैँ खुद को जरा कागजो के साथ

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 मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी,
यूं तो कहने को इन्सान बहुत हैं…

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 तुझे मुफ़्त में जो मिल गये हम,
तू क़दर ना करें ये तेरा हक़ बनता है…

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रातों  के  सूनेपन  से  घबरायें क्या !
ख़्वाब आँखों से पूछते हैं, हम आयें क्या !!
बेवा का सा हुस्न है दुनिया का यारों !
मांग इसकी सिन्दूर से हम भर जायें क्या !!

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कोई नहीं होता हमेशा के लिए किसी का,
लिखा है साथ थोड़ा-थोड़ा सभी का,
मत बनाओ किसी को अपने जीने की वजह,
क्योंकि जीना है अकेले, यह असूल है ज़िंदगी का !!

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दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी, अब याद आया

दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तेरा वादा ए शब याद आया

आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्त
तू मुसीबत में अजब याद आया

हाल ए दिल हम भी सुनाते लेकिन
जब वो रुख़सत हुए, तब याद आया

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तुम बेवफा होकर भी कितने अच्छे लगते
हो

खुदा जाने तुम मेँ वफा होती तो क्या होता.

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तू इतना प्यार कर जितना तू सह सके, 
बिछड़ना भी पड़े तो ज़िंदा रह सके....

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फ़ितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा.
खिलौने, माशूक़ा, रुतबा और ख़ुदा...

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गलतफहमियोँ की हद तब हुई
जब हमने उनसे कहा 
"रुको..., मत जाओ...

और उन्होंने सुना...
"रुको मत... जाओ..

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"इस दुनियाँ के हर शख्स को नफरत है "झूठ" से...
मैं परेशान हूँ ये सोचकर, कि फिर ये "झूठ" बोलता कौन है"।

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 इतना भी जरूरी न था कि मैं कुछ बोलूं
या कुछ बोलो ही तुम 
हम ने महसूस किया ही है 
कि टूटता ही है कुछ न कुछ
बोलने से 
नहीं बोलने का अर्थ 
खामोशी ही नहीं, कुछ और भी होता है 

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फिजां मे महक रात चांदनी है मगर 
शहर सोया जान पडता है

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चाहता है दिल किसी से राज़ की बातें करें 
फूल आधी रात का आँगन में है महका हुआ

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हर एक चेहरे पे गुमान उसका था
बसा ना कोई दिल में ये खाली मकान उसका था
.
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तमाम दुःख मेरे दिल से मिट गए, लेकिन
जो न मिट सका वो एक नाम उसका था

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