Monday, 11 April 2016

Ashiq Pyar Romance Shayri for girlfriend boyfriend

Ashiq Pyar Romance Shayri for girlfriend boyfriend 

आज कल की दुनिया में शरीफ,, सच्चे और
प्यारे दोस्त मिलना बहुत ही मुश्किल है
मैं खुद हैरान हूँ कि तुम लोगों ने मुझे ढूढ़ कैसे लिया?

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नाराज़गी से लेकर रजाबन्दी तक
 तेरी हर एक अदा लाजबाव है

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कौन समझ पाया है आज तक हमें,
हम अपने हादसों के इकलौते गवाह हैं !!

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नज़र झुका के जब भी वोह गुजरे हैं करीब से ,
हम ने समझ लिया कि आदाब अर्ज़ हो गया !!

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बहुत खूबसूरत है ना वहम ये मेरा...
कि तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो.....iii

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कौन पूछता है,
पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते हैं, जो उड़ जाते हैं...

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कितनी छोटी सी दुनिया है मेरी..!!
एक मै और एक यादे तेरी..!!

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मुस्कुरा कर जो देखो तो सारा जहां हसीन दिखता है
... वरना भीगी आंखों से तो आईने में अपना चेहरा भी धुंधला नज़र आता है।

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‬तुमसे बिछड़े तो मालुम हुवा की मौत भी कोई चीज़ हे
ज़िदगी तो वोह थी जो हम तेरी मेहफिल में गुजार आये।

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मुड़े-मुड़े से हैं, 
किताब-ए-इश्क़ के पन्ने,
ये कौन है, 
जो हमे हमारे बाद पढ़ता है.......

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अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता..
तो खुदा होता या तेरा दिल होता....!

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अगर होता यकीं के तुम मिलने आओगे ख्वाब में तो,
वफ़ा की कसम आँखों में हम गुलाब की पत्तिया सजाकर सोते..!


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हम भी  आजकल  खुशफहमियों  में जीते  हैं...
इक  हिचकी  भी  आती है तो शुक्रिया  अदा  करते  हैं....

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अच्छा दोस्त जिंदगी को जन्नत बनाता है...!!!
इसलिए मेरी कद्र किया करो
  वर्ना फिर कहते फिरोगे     
  "बहती हवा सा था वो;
यार हमारा था वो; कहाँ गया उसे ढूढों!"

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बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की;
कोई किसी को टूट कर चाहता है;
और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।

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खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है” !!

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खवाहिश नही मुझे मशहुर होने की….
तुम मुझे पहचानते हो, बस इतना ही काफी है..

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न जाहिर हुई तुमसे, न बयान हुई हमसे।
बस सुलझी हुई आँखो मेँ, उलझी रही मोहब्बत॥

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तनहा रहेने का भी अपना मज़ा है दोस्तों…….
यकीन होता है की कोई छोड़कर नहीं जायेगा,
और उम्मीद नहीं होती किसी के लौट आने की…!!

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सुना है…!
मोहब्बत की तलाश मैं निकले हो ‘तुम…’
अरे ओ पागल…?
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद
करना हो?

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हम ने एक असूल पे सारी उम्र गुज़ारी है;
जिस को अपना जान लिया फिर उस को परखा नहीं..

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फर्क बस अपनी अपनीसोच का है….
वर्ना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नहीं होती….!!

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तन्हाई में भी कहते है लोग,
जरा महफ़िल में जिया करो.
पैमाना लेके बिठा देते है मैखाने में,
और कहते है जरा तुम कम पिया करो….

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मैं हूँ, दिल है, तन्हाई है
तुम भी होते, अच्छा होता..

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“दोनों आखों मे अश्क दिया करते हैं
हम अपनी नींद तेरे नाम किया करते है
जब भी पलक झपके तुम्हारी समझ लेना
हम तुम्हे याद किया करते हैं ”

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अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना,
गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…

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सोचता हूं क्या उसे नींद आती होगी..
या मेरी तरह सिर्फ अश्क बहाती होगी..
वो मेरी शक्ल मेरा नाम भुलाने वाली..
अपनी तस्वीर से क्या आंख मिलाती होगी…..

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कुछ ठोकरों के बाद समझदार हो गए,
अब दिल के मशवरों पर अमल नहीं करते..

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हवा का झौंका था शायद
खिडकी कोई खुली रह गई

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क्या अजीब सबूत माँगा है उसने मेरी मोहब्बत का……
मुझे भूल जाओ तो मानू की तुम्हे मुझसे मोहब्बत है……..!!!!!!

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तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है,
यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे, तो कैसे पता चलेगा, कि प्यार क्या होता है.

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बर्बाद कर दिया दोनों की लड़ाई ने मुझे ।                                               ना आशिक हार मानता है ना दिल शिकस्त का आदी है ।।
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एक शब्द है (मुकद्दर)
इससे लड़कर देखो तुम
हार ना जाओ तो कहना..

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मैं बोलता गया हूँ.... वो सुनता रहा ख़ामोश
ऐसी भी मेरी हार, हुई है कभी कभी

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सामने आई है रिश्तों की हकीकत जब से ,
हम दुआ मांग रहे है के अकेले हो जाये ...

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तुम्हारा सिर्फ़ हवाओं पर शक़ गया होगा
चिराग ख़ुद जल-जल के थक गया होगा

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“गुमराह करते तो हम भी आरजू होते किसी की,
ख़ता यही हुई की दिल को खोल के रख दिया...!”

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चाहने वालो को नही मिलते चाहने वाले.!
हमने हर दगाबाज़ के साथ सनम देखा है..!!


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