Monday, 21 March 2016

दोस्ती Hindi Love and Pyar Shayri

Hindi Love and Pyar Shayri दोस्ती Shyari 


Hindi Love and Pyar Shayri : मेरी आंखो मे ना खोजा करो तुम खुद को..!! क्योकि 
मेरे दिल मे तुम रहते हो खवाब की तरह ....!!!



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इस उम्मीद से मत फिसलो, 
कि तुम्हें कोई उठा लेगा
सोच कर मत डूबो दरिया में, 
कि तुम्हें कोई बचा लेगा
ये दुनिया तो एक अड्डा है तमाशबीनों का दोस्त,
गर देखा तुम्हें मुसीबत में तो, 
यहां हर कोई मज़ा लेगा...

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दोस्ती से कीमती..   
दोस्ती से कीमती कोई जागीर नही होती;    
दोस्ती से खूबसूर्त कोई तस्वीर नही होती;     
दोस्ती यूँ तो कचा धागा है मगर;    
इस धागे से मजबूत कोई ज़ंजीर नही होती!

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लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नाम से
कि....
जिसने तुम्हे देखा भी नही, 
उसने भी तेरी तारीफ कर दी..

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"इस होली मेँ ऐसा 'गुलाल' हो जाये...!
जिससे अपनी 'रुह' तक लाल हो जाये...!!
तुझमेँ दिखे तो सिर्फ़ 'राधिका' दिखे...!!!
मेरा रोम-रोम 'गोपाल' हो जाये"....!!!!

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" कान्हा के होठों पे देखो क्या खुशनुम़ा है बंशी ,
  बंशी पे होठ फ़िदा हैं या होठों पे फ़िदा है बंशी "|
    राधे राधे जय श्री राधे >>>
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रूह मेरी.. इश्क़ तेरा,
जाँ मेरी... जिस्म तेरा,,
जन्नत मिले .. पहलु में तेरे,
बाहें तेरी .. और सुकून मेरा,,|

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आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.

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खुदा को याद करूँ यां याद करूँ तुम्हे 💕
ज़र्रे ज़र्रे में वो है और कतरे कतरे में तुम...!!!

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कुछ हँस के बोल दिया करो,
कुछ हँस के टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत परेशानियां है तुमको भी मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले वक्त पे डाल दिया करो ।।

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खुल जाता है उस की यादों का बाज़ार सुबह सुबह,
बस मेरा दिन इसी रौनक में गुज़र जाता है ।

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आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.

--

खुदा को याद करूँ यां याद करूँ तुम्हे 💕
ज़र्रे ज़र्रे में वो है और कतरे कतरे में तुम...!!!

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रात गुम सुम है मगर खामोश नही,
कैसे कह दूँ आज फिर होश नही,
ऐसे डूबा हूँ तेरी आँखों की गहराई में,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही।

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शायरी कहां वो बिखरे अल्फाज़ थे 
तेरी वाह वाही ने संवारा था जिनको 

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सुलझ जायेगी तो सिमटने लगेगी..
चल कुछ बातें उलझी ही रहने दे
न वज़ह ढूंढ , न अंजाम तक जा
बस इस कारवां को यूं ही बहने दे...

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"रब"  ने नवाजा   हमें  जिंदगी देकर;
और  हम  "शौहरत"  मांगते   रह   गये;
जिंदगी  गुजार  दी  शौहरत  के  पीछे;
फिर   जीने   की  "मौहलत"   मांगते   रह गये।
ये   कफन ,  ये जनाज़े,   ये   "कब्र" सिर्फ  बातें   हैं मेरे   दोस्त,,,
वरना   मर   तो   इंसान   तभी   जाता  है जब  याद  करने  वाला  कोई   ना हो...!!

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ये  समंदर   भी  तेरी   तरह.  खुदगर्ज़ निकला, 
ज़िंदा  थे  तो  तैरने  न  दिया और मर  गए   तो   डूबने  न  दिया . . 
क्या  बात   करे   इस   दुनिय  की 
"हर  शख्स के   अपने  अफसाने  हैं"
जो   सामने  हैं  उसे   लोग  बुरा   कहतें  हैं,
जिसको देखा  नहीं   उसे   सब   "खुदा"  कहते   हैं.!!!

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नसीब नसीब की बात होती है...
कोई नफरत देकर भी बेपनाह प्यार पाता है...
और कोई बेपनाह प्यार देकर भी यहाँ...
बस खाली हाथ रह जाता है...


Thursday, 17 March 2016

Hindi Pyaar Love Mohabbat Shayari

Hindi Pyaar Love Mohabbat Shayari

Hindi Pyaar Love Mohabbat Shayari : पता है तुम्हारी और हमारी
मुस्कान में फ़र्क क्या है?
तुम खुश हो कर मुस्कुराते हो,
हम तुम्हे खुश देख के मुस्कुराते हैं………

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कैदी हैं सभी यहाँ.
कोई ख्वाबों का तो कोई ख़्वाहिशों का.... 

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बिखरे पडे लफ्जों को समेटा चाहता था 
तरतीब से  फिर सजाना चाहता था
बगैर तेरे दीदार के ये भी इधर उधर के हो लिये 



 बडे शातिर हो गये हैं लफ्ज आजकल
निकलते मेरी कलम से हैं 
तारीफ तेरी करते हैं

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आईना सच को छुपा ना पायेगा 
खुद को भी ना जताई जो बात, वो बात भी बता जायेगा

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कहते है दिल की बात हर किसी को कही नहीं जाती 
अपनों को भी बताई नहीं जाती पर दोस्त तो आईने होते हैं और आईने से कोई बात छुपाई नहीं जाती.

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 पलकों की हद को तोड़ कर दामन पे आ गिरा,
एक अश्क़ मेरे सब्र की तौहीन कर गया….

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रिश्तों का बनना बिगडना कहां अपने हाथ है 
ये ताना बाना तो बुनता है 
सितारों से ऊपर बैठा कोई

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शायरी मे सिमटते कहाँ हैँ दिल के दर्द दोस्तो
ये तो अलफाजों को तरबियत देने का बहाना है

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जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम,
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम,
छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर,
जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम !!

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कहने को बहुत छोटी बात है
    अगर समझ सको तो ..
बात करने से, ही बात बनती है...
बात न करने से, बातें बनती हैं...

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न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत...
तू हर रोज़ नयी सी ,मैं हर रोज़ वही उलझा सा..

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ये सच है जी तेरे बिन बहलता नहीं है 
मैं ठहर भी जाऊं, वक्त ठहरता नहीं है....!!!

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ख्वाबों में हीं मुझसे मिलने आ जाओ तुम
तेरी बहुत शिकायतें करनी है, मुझे तुमसे…

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न तेरी अदा समझ में आती है ना आदत...
तू हर रोज़ नयी सी ,मैं हर रोज़ वही उलझा सा..

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ये अहसासों क़े रिश्ते दिल से जुड़े हैं,
इसलिए दिल कही धड़कता है आवाज़ कही आती है...

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मन परिंदा है
रूठता है
उड़ता है
दूर..कहीं दूर
फिर रूकता है
ठहरता है, सोचता है, आकुल हो उठता है
नहीं मानता
और लौट आता है
तुम्हारे पास

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चलो मिल ही लेते हैं", फिर कभी न मिलने को;
यही ख्वाहिश बची है दिल में, इक आखिरी ख्वाहिश की तरह!!....

Wednesday, 16 March 2016

Life Dard Friendship Dosti Hindi Shayari

Hindi Shayari on life Dard Love friendship dosti sad

Hindi Shayari on life Dard Love friendship dosti sad : शिकायत करने से खामोश रहना बेहतर है, क्यूंकि जब किसी को फर्क नही पड़ता तो शिकायत कैसी ??? ☹☹😷 सही कहा ना दोस्तों  

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मुझे रिश्तो की लंबी कतारोँ से मतलब नही,
कोई दिल से हो मेरा, तो एक शख्स ही काफी है

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तन्हाई अकेलेपन की मोहताज़ नहीं होती,
भीड़ ज़्यादा हो तो अपना वजूद तन्हा लगने लगता है.

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कितनी भी शिद्दत से क्यूँ ना निभाओ रिश्ता,
बदलने वाले फिर भी बदल ही जाते है !!

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अपनी तक़दीर में तो कुछ ऐसा ही सिलसिला लिखा है,
किसी ने वक़्त गुजारने के लिए अपना बनाया,
तो किसी ने अपना बना कर वक़्त गुज़ार लिया……..

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मैं अभी तक समझ नहीं पाया तेरे इन फैसलो को ऐ खुदा,
उसके हक़दार हम नहीं या हमारी दुआओ में दम नहीं

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मोहब्बत भी चाहते हो और मुक्म्म्ल वफ़ा भी,,
आप तो धुंए के बादलों से बरसात माँग रहे हो...!!!

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समुंद्र की तरफ जाना हो तो जरा सब्र रख कर जाना...
जहाज बताते है कि "समुंद्र "मे छुपने के ठिकाने नही होते 

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तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी हैँ मुझे..
मै आज अपने पाँवो की आहट से ही डर गया..

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बिछड़ने वाले तेरे लिए एक "मशवरा" है ,...
कभी हमारा "ख्याल" आए, तो अपना 'ख्याल' रखना....

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अपना होगा तो सता के मरहम देगा,
जालिम होगा अपना बना के जख्म देगा,
समय से पहले पकती नहीं फसल,
अरे बहुत बरबादियां अभी मौसम देगा|

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छोङ दिया सबको बिना वजह तंग करना…,
जब कोई अपना समझता ही नही…,
तो उसे अपनी याद क्या दिलाना

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शिकायत करने से खामोश रहना बेहतर है, 
क्यूंकि 
जब किसी को फर्क नही पड़ता तो शिकायत कैसी ??? ☹☹😷
      सही कहा ना दोस्तों...

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मुहब्बत हर दिल को आजमाती है.....
किसी से रूठ जाती है.....
और किसी पर मुस्कुराती है.....
ये खेल ही ऐसा है मुहब्बत का.....
किसी का कुछ नहीं लेती.....
और किसी का सब कुछ ले जाती है.....

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सुना  है होली आ रही ऐ दिल सम्हल कें रहना ...
क्यूंकि लोग गालो पे रंग लगाकर दिल का रंग चुरा लेते है...

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यूँ तो कहने को बहुत सी बातें हैं इस दिल में ...........! 
कुछ लफ़्जों में कह दूँ....
मेरी आखिरी ख्वाहिश हो तुम

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बस दो अदायें उन की बेताब कर गयी...
अंदाज नज़रे मिलाने का और नज़रअंदाज़ करने का

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मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर ,
तुमसे बिछड़ जाना, ये सज़ा कुछ
ज्यादा हो गई...

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फकीर मिज़ाज़ हूँ मैं, अपना अंदाज औरों से जुदा रखता हूँ..
लोग मंदिर मस्जिदों में जाते है, मैं अपने दिल में भगवान को रखता हूँ..

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रंगों का कारोबार हमने खूब किया
पर कभी मोहब्बत का रंग न बेच पाये ..

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जाने क्यूँ महसूस हो रहा है.!!
मुझ़े महसूस कर रहे हो तुम

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तेरी नजरों का नजारा जो देखा एक नजर 
दिल हुआ आवारा नहीं भूलता अब वो मंजर

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है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ,
ऐ दोस्त…..
हर बार उजड़ के भी बसता रहा वो शहर हूँ मैं!!

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इन नजरों को सलाम भेजा है 
यूं ना समझना किसी को कलाम भेजा है

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ये रस्म,
ये रिवाज,
ये कारोबार वफ़ाओं का
सब छोड़ आना तुम...!!
मेरे बिखरने से जरा  पहले
लौट आना तुम ...!!!

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देख के ह़या से सिमटना तेरा 
ना जाने कितनी बार बिखरा हूं मैं

--

मिली जब जब तुझसे ये नजर 👀
हर बार तब तब निखरा हूं मैं

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नसीब की बारिश ,,
कुछ इस तरह से होती रही मुझ पर ,,
ख्वाहिशें सूखती रही और 
पलकें भीगती रही !!

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हस्तियाँ मिट गयी नाम कमाने में, उम्र बीत गयी खुशियाँ पाने में, एक पल में दूर ना हो जाना हमसे, हमें तो सालों लगे है, आप जैसा दोस्त पाने में ..

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देख के ह़या से सिमटना तेरा 
ना जाने कितनी बार बिखरा हूं मैं 🌺
🌺मिली जब जब तुझसे ये नजर 👀
हर बार तब तब निखरा हूं मैं 🌺
🌺तेरा सिमटना, मेरा बिखरना, नजरों में तेरी निखरना मेरा
ना जाने कितनी नजरों में अखरा हूं मैं 

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मुतमा-इन ज़िन्दगी से, कुछ ऐसे हुए जाते हैं
क़िस्मत के फटे चीथड़े, बेबस हो सीये जाते हैं

तेरा वजूद होगा, मेरे लिए भी लाज़िम 
नामालूम सी ज़िन्दगी से, तन्हाई पिए जाते हैं

बर्क-ए-नज़र कितनी, गिरतीं रहीं हैं सर पर
बेअसर सर को अब तो, बा-असर किये जाते हैं

इक आरज़ू तो है ही, इक बहार खुल के आये  
इस एक ऐतमाद पर, हम गुज़र किये जाते हैं

ग़र दुआ भी देंगे तुमको, तो कितनी दुआयें देंगे
साँसों के साथ उम्र भी, अब नज़र किये जाते हैं 

हम वो नदी हैं जिसके, किनारे ग़ुमगश्ता हो गए 
उन किनारों की ख़ोज में हम लहर लिए जाते हैं 

हमको क्या पड़ी 'अदा', बहारें आये-जाएँ
मौसम-ए-रूह की हम, बस क़दर किये जाते हैं 
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

मुतमा-इन = संतुष्ट 
बर्क़-ए-नज़र = नज़रों की बिजलियाँ  
ऐतमाद = विश्वास 
लाज़िम = महत्वपूर्ण, आवश्यक 
ग़ुमगश्ता=खोया हुआ 

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ये रोज़-रोज़ की प्रार्थना
हर रविवार का सत्संग 
और हर दिन तम्बाखू खाना  
आदत में ही शुमार हैं 
एक रह जाए तो मन को कष्ट होता है
और दूसरे से तन को  । 
आदत कैसी भी हो 
आदत ही होती है
अगर शान्ति चाहिए तो 
आदत से बाहर निकल कर 
कुछ सृजन करो 
शब्द अपने में कुछ नहीं होते 
उनको जीवित तुम करते हो 
अगर ऐसा नहीं होता तो 
'मरा' 'मरा' कहने वाला 
भक्त क्यूँ कहाता  ?
भगवान् भी तभी तक है 
जब तक भक्त रहता है 
और 
गंगा भी तभी तक गंगा है 
जब तक वो सागर में नहीं समाती .....

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तेरा जमाल मुझे क्यूँ, हर सू नज़र आए
इन बंद आँखों में भी, बस तू नज़र आए
सजदा करूँ मैं तेरी, कलम को बार-बार
हर हर्फ़ से लिपटी मेरी, आरज़ू नज़र आए
गुज़र रही हूँ देखो, इक ऐसी कैफ़ियत से
ख़ामोशियों का मौसम, गुफ़्तगू नज़र आए
फासलों में क़ैद हो गए, ये दो बदन हमारे 
पर उफ़क से ये ज़मीं क्यूँ, रूबरू नज़र आए
वो संदल सा गमके और कुंदन सा दमके 
उसकी बेक़रार सी आँखें, क्यूँ पुर-सुकूँ नज़र आये 

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Tuesday, 15 March 2016

Dil Ki Baat Shayari Ke Saath

Romantic Shayari in Hindi

Romantic Shayari in Hindi- तमन्ना हो अगर मिलने की, तो हाथ रखो दिल पर …
हम धड़कनों में मिल जायेंगे ..

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कुछ बातो का जवाब सिर्फ ख़ामोशी होती है, 
और सिर्फ ख़ामोशी ही सबसे खूबसूरत जवाब है

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दूर होकर करीब रहना, 
नज़ाकत है मेरी.. 
याद बनकर आँखों से बहना, 
शऱारत है मेरी... 
करीब ना होते हुए भी, 
करीब पाओगे.. 
क्योंकि 
एहसास बनकर दिल में रहना, 
आदत है मेरी..

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जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है!
कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!

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न दीपक नहीं चाँदनी पर भरोसा
मैं करके चली थी किसी पर भरोसा
चलो पत्थरों को भी अब आज़माएँ
बहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
वो करता रहा इसलिए ज़ुल्म मुझ पर
उसे था मेरी ख़ामुशी पर भरोसा
भरोसे के क़ाबिल तो बस मौत ही है
न कर बेवफ़ा ज़िन्दगी पर भरोसा
मैं ख़ुद पर भरोसा नहीं रख सकी जब
तो करने लगी हर किसी पर भरोसा
अँधेरा हुआ तब उसे नींद आई
जिसे था बहुत रौशनी पर भरोसा
दिखावे से लबरेज़ थी तेरी महफ़िल
मैं करके लुटी सादगी पर भरोसा

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वो पथ क्या पथिक  कुशलता क्या 
जिस पथ में बिखरे शूल न हों 
नाविक  की  धैर्य  कुशलता  क्या 
जब धाराएँ प्रतिकूल न हों .....

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ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिटाते रहे 
थी वहीँ वो खड़ी इक हसीं ज़िन्दगी हम उससे मगर दूर जाते रहे 
रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे 
आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे 
बिखरे-बिखरे थे मेरे वो सब फासले हम करीने से उनको सजाते रहे 
अब समेटेंगे हम अपनी नज़दीकियाँ दूरियों को गले से लगाते रहे 
वो पेड़ों के झुरमुट से अहसास थे और ख्वाबों की बेलें लिपटती रहीं 
हम हक़ीक़त के हाथों यूँ मरते रहे बढ़ के पेड़ों से बेलें हटाते रहे

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सूरत कुछ...सीरत कुछ और बताते हैं.....
अंधेरा "दिल" में है, और "दीये" मन्दिरों में जलाते हैं..

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दूर होकर करीब रहना, 
नज़ाकत है मेरी.. 
याद बनकर आँखों से बहना, 
शऱारत है मेरी... 
करीब ना होते हुए भी, 
करीब पाओगे.. 
क्योंकि 
एहसास बनकर दिल में रहना, 
आदत है मेरी..

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काश…!! एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर…!!! 
वो आ कर गले लग जाये 
मेरी इजाजत के बगैर!!

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जेबों में नहीं, सिर्फ गरेबान में झाँको।। 
यह दर्द का दरबार है बाज़ार नहीं है।।

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थमा कर नीम हम को वो चन्दन ले गया..
वो अपन सारे कारोबार को लंदन ले गया..
जो छाती ठोक कर कहते थे काला धन लाएंगे..
 उन्ही के नाक के नीचे से सफेद धन ले गया..

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यूँ तो कहने को बहुत सी बातें हैं इस दिल में ...........! 
कुछ लफ़्जों में कह दूँ....
मेरी आखिरी ख्वाहिश हो तुम

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न दीपक नहीं चाँदनी पर भरोसा
मैं करके चली थी किसी पर भरोसा
चलो पत्थरों को भी अब आज़माएँ
बहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
वो करता रहा इसलिए ज़ुल्म मुझ पर
उसे था मेरी ख़ामुशी पर भरोसा
भरोसे के क़ाबिल तो बस मौत ही है
न कर बेवफ़ा ज़िन्दगी पर भरोसा
मैं ख़ुद पर भरोसा नहीं रख सकी जब
तो करने लगी हर किसी पर भरोसा
अँधेरा हुआ तब उसे नींद आई
जिसे था बहुत रौशनी पर भरोसा
दिखावे से लबरेज़ थी तेरी महफ़िल
मैं करके लुटी सादगी पर भरोसा


---

ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिटाते रहे 
थी वहीँ वो खड़ी इक हसीं ज़िन्दगी हम उससे मगर दूर जाते रहे 
रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे 
आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे 
बिखरे-बिखरे थे मेरे वो सब फासले हम करीने से उनको सजाते रहे 
अब समेटेंगे हम अपनी नज़दीकियाँ दूरियों को गले से लगाते रहे 
वो पेड़ों के झुरमुट से अहसास थे और ख्वाबों की बेलें लिपटती रहीं 
हम हक़ीक़त के हाथों यूँ मरते रहे बढ़ के पेड़ों से बेलें हटाते रहे

---


कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत मैं बेवफा नहीं..

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जिन्हें फ़िक़र थी कल की,
बेवजह वो रोए रात भर...
जिन्हें यक़ीं  खुदा पर
चैन से वो सोए  रात भर ...!!

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कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते भी,
जो आवाज़ तुम ना दो तो बोलते वो भी नहीं !!

Monday, 14 March 2016

हिंदी शायरी True Love Top Romantic Shayari

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हिंदी शायरी Hindi Shayari in Hindi language : मेरी रूह तरसती है तेरी खुशबू के लिए , तुम कहीं और जो महको तो बुरा लगता है !!

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ख्वाइश बस इतनी सी हें की तुम मेरे लफ्ज़ो को समजो
आरज़ू ये नहीं की लोग वाह वाह करे..

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रिश्ते निभाना हर किसी के बस  की बात नही..  
अपना दिल दुखाना पड़ता है  किसी और की खुशी के लिये..

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खुशियाँ बटोरते बटोरते उम्र गुजर जाती है...... 

बाद मे पता चलता है खुश तो वो लोग थे जो खुशियाँ बाटते थे

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कुछ तो धड़कता है, रूक रूक कर मेरे सीने में .. 
अब खुदा ही जाने, तेरी याद है या मेरा दिल ..

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मेरे बर्दाश्त करने का अंदाजा तू क्या लगायेगी..
तेरी उम्र से कहीं ज्यादा..मेरे जिस्म पर जख्मो के निशाँ हैं..

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सब्र ....तहजीब है मोहब्बत की 

और तुम समझते हो बेजुबान हूँ मैं

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तूफान भी आना जरूरी है जिन्दगी में तब जा कर पता चलता है,
"कौन" हाथ छुडा कर भागता है
और

"कौन" हाथ पकड कर भागता है..

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नजर ना आये तो सौ वहम दिल में आते हैं

वो एक शख्श जो अक्सर नज़र आता है

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थमा कर नीम हम को वो चन्दन ले गया..
वो अपन सारे कारोबार को लंदन ले गया..
जो छाती ठोक कर कहते थे काला धन लाएंगे..

 उन्ही के नाक के नीचे से सफेद धन ले गया..

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कोई तो है मेरे अंदर जो मुझे सम्भाले हुए है...

बेकरार सा रहकर भी बरकरार हूं मै..

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"हमसे पूछो क्या होता है पलपल बिताना,
बहुत मुश्किल होता है दिल को समजाना,
यार ज़िंदगी तो बीत जाएगी,

बस मुश्किल होता है कुछ लोगो को भूल पाना."

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ख़याल रखा करो अपना !!

मेरे पास तुमसा और कोई नहीं है.

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सुकून क्या है ...??
हम नहीं जानते..... ! 
शायद ये वो है .....

जो तुम्हारे पास आ के मिलता है......!!

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जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है!

कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!

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हाथ जख्मी हुए तो कुछ हमारी भी गलतियाँ थी !!
लकीरों को मिटाने चले थे,किसी एक को पाने के लिए !!

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मेरी रूह तरसती है तेरी खुशबू के लिए ,
तुम कहीं और जो महको तो बुरा लगता है !!

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Friday, 4 March 2016

इश्क मोहब्बत Dil Ki Baat Shayari Ke Saath Pyar Hindi SMS, Pyar Shayari

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कही हमारे मनाने के तरीके से,
 मोहब्बत तो नहीं कर बेठे हो | 

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 तेरे लहजे में लाख मिठास सही मगर
जहर लगता है तेरा औरों से बात करना | 

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 मेरी यादों में तुम 🌙
मेरी बातों में भी तुम🌙 
हिसाब 📖 कर के बताऊँ ...
तो बेहिसाब हो तुम ...


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ये जो तुम्हारी याद है ना ...
बस यही एक मेरी जायदाद है...!!

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 बोल दिया होता कि दर्द देना हैं...
मोहब्बत  को बीच में लाने की क्या जरूरत थी...
✍☆ मोहब्बतें ✍☆

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गुलाब सी हैं मोहब्बत तेरी....
जितनी खुशबु उतनी ही चुभन....
👁❣👁
इश्क तो तुमसे ही था....
सदियों तलक तुमसे ही रहेगा....
फर्क बस इतना है....
पहले तेरी बातों में खोये रहते थे....
अब तेरी यादों में डूबे रहते है....

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 मत तरसा इतना किसी को अपनी मोहब्बत के लिए ...!!
क्या पता तेरी मोहब्बत पाने के लिए जी रहा हो कोई ...!
💖💖💖💖💖

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 मेरे शब्दों को...को इतनी शिद्दत से ना
पढ़ो यारो...कुछ याद रह गया तो....
हमे भुल नही पाओगे.....|||.. 💞

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में चिरागों की हिफाज़त, भला कैसे करता..??
वक़्त तो सूरज को भी, डूबा देता है।
मै सूरज के साथ रहकर भी भूला नही अदब,
लोग जुगनू का साथ पाकर... मगरूर हो गये...
सुखें पत्ते है हम जिस दिन जलेंगे उस दिन पुरा जंगल जलादेंगे

---

 ✍☆ मोहब्बतें ✍☆
गुलाब सी हैं मोहब्बत तेरी....
जितनी खुशबु उतनी ही चुभन....
👁❣👁

---

बोल दिया होता कि दर्द देना हैं...
मोहब्बत  को बीच में लाने की क्या जरूरत थी...

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आराम से तनहा कट
रही थी तो अच्छी थी,
💓💓💓💓💓💓
जिंदगी तू कहाँ दिल❤ की बातों में आ गयी ।।।।
💜💜💜💜💜💜

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 इश्क तो तुमसे ही था....
सदियों तलक तुमसे ही रहेगा....
फर्क बस इतना है....
पहले तेरी बातों में खोये रहते थे....
अब तेरी यादों में डूबे रहते है....

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 ♥खत की ख़ुशबू ये बता रही थी
लिखते हुए 💋jaan💋 की जुल्फे खुली थी♥

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मेरे दुपट्टे में आज भी आती है,,,
    तुम्हारी भीनी सी खुशबु,,,,,,

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मैंने हँसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।

मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीडा;
हँस-हँस जीवन में
कैसे करती है चिंता क्रिडा।

जग है असार सुनती हूँ,
मुझको सुख-सार दिखाता;
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता।

उत्साह, उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में,
उल्लास विजय का हँसता
मेरे मतवाले मन में।

आशा आलोकित करती
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के घन।

सुख-भरे सुनले बादल
रहते हैं मुझको घेरे;
विश्वास, प्रेम, साहस हैं

जीवन के साथी मेरे।

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इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की हैं,

एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन

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बदलने को तो इन आंखों के मंजर कम नहीं बदले,
तुम्हारी याद के मौसम हमारे गम नहीं बदले
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी तब तो मानोगी,

जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले

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कहीं पर जग लिये तुम बिन,कहीं पर सो लिये तुम बिन,
भरी महफिल में भी अक्सर अकेले हो लिये तुम बिन
ये पिछले चन्द बर्षो की कमाई साथ है मेरे,

कभी तो हंस लिये तुम बिन कभी फिर रो लिये तुम बिन

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लूट लिया माली ने उपवन
लूटी न लेकिन गन्ध फूल की
तूफानों तक ने छेड़ा पर
खिड़की बन्द न हुई धूल की
नफरत गले लगाने वालों सब पर धूल उड़ाने वालो

कुछ मुखड़ों की नाराजी से दर्पण नहीं मरा करता है।

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लाखों बार गगरिया फूटीं
शिकन न आयी पर पन्घट पर
लाखों वार किश्तियॉ डूबीं
चहल पहल वो ही है घट पर
तम की उमर वढाने वालो लौ की उमर घटाने वालो

लाख करे पतझड़ कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

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खोता कुछ भी नहीं यहॉ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चॉदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वाले, चाल बदलकर जाने वालो

चंद खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

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माला विखर गई तो क्या है,
खुद ही हल हो गयी समस्या
आंसू गर नीलाम हुये तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालो, फटी कमीज सिलाने वाले

कुछ दीपक के वुझ जाने से आंगन नहीं मरा करता है।

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सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुया आंख का पानी
और टूटना है उसको ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने बालो, डूबे बिना नहाने बालो

कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

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छिप छिप अश्रु बहाने बालो,
मोती व्यर्थ लुटाने वालो

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

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हौले हौले ख्वाहिशों की उम्र वढने लगी तो,दिल में जवान कितने ही ख्वाव हो गये
और वक्त की शिकायतों पर रब की इनायतें थी, हमने जो देखे सपने गुलाब हो गये
कि दुनिया ने रख दिये पग पग पे सवाल, फिर भी इरादे सभी लाजबाब हो गये
जिन्दगी में और तो वसीला कुछ भी नहीं था,मॉ ने दी दुआयें हम कामयाब हो गये !

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ढलने लगी थी रात,,,,कि तुम ,,,,याद आ गये 

फिर उसके बाद ,,,,रात ,,,,,बहुत देर तक रही

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वोह अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझानें पढ़ें,
हमने मुहब्बत की है कोई वकालत नहीं.

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"उनके आने के इंतज़ार में हमनें,
सारे रास्ते दिएँ से जलाकर रोशन कर दिए,उन्होंने सोचा कि मिलने का वादा तो रात का था,वो सुबह समझ कर वापस चल दिए"

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क्या क्या रंग दिखाती है जिंदगी
क्या खूब इक्तेफ़ाक होता है,
प्यार में ऊम्र नहीँ होती
पर हर ऊम्र में प्यार होता है

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वॉकुरी की धार सम तीखे नयनों की कोर, आंज कर काजर कटारी लगने लगी
देख कर कंचन समान कमनीय काया, काम को भी कामना  कुमारी लगने लगी
यौवन का वोझ इतना वढ़ा कि देह पर, ओढ़नी भी रेशम की भारी लगने लगी
मुखड़ा है जैसे पूर्णिमा के चन्द्रमा की छवि, देहदृष्टि जैसे पारिजात है कसम से
चंचल हंसी में मीठी तान की सी कोयल की, बानी में सुरों की बरसात है कसम से
घोर कालिमा से काले काले—काले कुन्तल हैं, काले केश हैं कि काली रात है कसम से
गोरे रंग से भी गोरी गोरी—गोरी इतनी की, तुलना में गोरा रंग मात है कसम से

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जो संतुष्ट रहते हैं 
वे सदा खुश रहते हैं।

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ठोकरें ख़ाता हूँ पर
"शान" से चलता हूँ
मैं खुले आसमान के नीचे
सीना तान के चलता हूँ
मुश्किलें तो "साज़" हैं
ज़िंदगी का
"आने दो-आने दो"
उठूंगा , गिरूंगा
फिर उठूंगा
और
आखिर में "जीतूंगा मैं ही"

ये ठान के चलता हूँ...

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 उलझ के ऐसे मुहब्बत का फलसफा रह जाये,
ना कुछ भी ख्वावो हकीकत में फॉसला रह जाये
वहॉ से देखा है तुझको जहॉ से तू खुद भी

जो अपने आपको देखे तो देखता रह जाये।

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कभी अपने बारे मे बुरा मत सोचो........ 




इसका पूरा ठेका हमारे रिश्तेदारों और पडोसियो ने ले रखा है। 

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पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का,
फर्क सिर्फ इतना है,,, कुदरत में पत्ते सूखते है......

और हकीकत में रिश्ते

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इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी।

चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ गया।।

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हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन।

अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को।।

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जीना हराम कर रहा है इन आंखों ने ...
 खुली हो तो तलाश तेरी.. ..


 बंद हो तो ख्वाब तेरे ...

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कुछ ना किया मगर वो दर्द बेहिसाब दे गये...!

देखो ना! मुझ अनपढ को .... 

मोहब्बत की किताब दे गये ......

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"हर नज़र को 1 निगाह का हक़ है,
हर नूर को 1 आह का हक़ है.
हम भी दिल लेकर आये है इस दुनिया में,

हमे भी तो 1 गुनाह करने का हक़ है"

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किसी ने आज पूछा,,, कहा से ढूढ लाते
हो एसी शायरी...??


में मुस्कुरा के बोला "उसके खयालो में डूबकी लगा कर..".....

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मुझे मालुम है
कि यह ख्वाब झूठे और ख्वाहिशे अधूरी है.......

पर जिदां रहने के लिए कुछ गलतफहमी भी जरुरी है|

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हर एक चटकीले  रंग  पर जब  मौसम की छांट  पड़ा  करती है  ते निखरते  हर उस छोटे  अंःश के रंगों  के बदलते  हर उस ढंग  को करीब  से देखा है   मैने | 

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यही बहुत है की दिल उसको ढुँढ लाया है,

किसीके साथ सही वो नज़र तो आया है !

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इस कदर हम यार को मनाने निकले!
उसकी चाहत के हम दिवाने निकले!
जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा!

उसके होठों से वक़्त न होने के बहाने निकले!

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आज फिर तुम्हारी याद में ,
मैंने कुछ लिख डाला..
🎀
ये जमाना वाह वाह कर रहा है,

 मेरी हर इक आह पर..

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रात जगी है रात भर और शम्मा भी अब सोने चली
ऐसे में अब फ़िक्र किसे, क्या हाल हुआ परवानों का
मन का पाखी उड़ चला, और दिल भी है खोया खोया 
प्रीत का बाजा ढोल बजा, और शोर हुआ अरमानों का
धज्जी-धज्जी पैरहन है, आँखों में भी ख़ुमारी सी
मजनूँ जैसी सूरत लेकर, क्या होगा तुम दीवानों का 
हम तेरे ख्यालों में यूँ डूबे, कि मंजिल अपनी रूठ गई  

न क़ाबे का ही ज़िक्र किया, न नाम लिया बुतखानों का

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जब तक तुम मिलो हमसे, न उम्र की शाम हो जाए
ज़िक्र तेरा करूँ ख़ुद से, और चर्चा आम हो जाए
तुझे मिलने की ख्वाहिश और तमन्ना दिल पे तारी है
ख़्वाबों और हक़ीकत में, न क़त्ले आम हो जाए
दहाने ज़ख्म के दिल के, ज़िन्दगी सोग करती है 
हुनर ये ज़िन्दगी का है, पर दिल गुलफाम हो जाए
वो बारिश जो कभी खुल कर, खुली छत पर बरसती है 
मेरे कमरे में भी बरसे तो मेरा काम हो जाए 
करिश्मा ग़र कोई ऐसा, मेरा क़ातिल ही कर जाए 
मेरे ख़ूने जिगर से ही, सही इक जाम हो जाए 

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सूरज की तरह उजियारा नही हूं, 
अंधेरो में कभी हारा नही हूं...🙏🏻
झरना ही सही छोटा सा, 

मै समुंदर की तरह खारा नही हूं...

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दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू,
आप भूल भी जाओ तो मे हर पल याद करू,
खुदा ने बस इतना सिखाया हे मुझे

कि खुद से पहले आपके लिए दुआ करू..

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अभी उतना ही गिरने दो हमें ख़ुद की निगाहों में 
कभी झुक करके सोचें, आओ अब ख़ुद को उठाते हैं
ये माना हम कभी कुछ भी कहाँ तुम्हें दे ही पाए हैं 
मगर हम रूह की हद से तुम्हें मेरी जाँ बुलाते हैं 
ये दिल इस  दर्द के जज़्बात से जब भी लरजता  है
पकड़ कर डाल हम ख़ामोशियों के झूल जाते हैं

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 ज़िन्दगी की तह अब उतरने लगी है
अश्कों की तासीर बदलने लगी है
वो जो हरारत सी हमको हुई थी 
उन्हें देख तबियत सम्हलने लगी है 
ना झाँका करो झरोखे से बाहर
शहर की हवा अब बदलने लगी है

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रात जगी है रात भर और शम्मा भी अब सोने चली
ऐसे में अब फ़िक्र किसे, क्या हाल हुआ परवानों का
मन का पाखी उड़ चला, और दिल भी है खोया खोया 
प्रीत का बाजा ढोल बजा, और शोर हुआ अरमानों का
धज्जी-धज्जी पैरहन है, आँखों में भी ख़ुमारी सी
मजनूँ जैसी सूरत लेकर, क्या होगा तुम दीवानों का 
हम तेरे ख्यालों में यूँ डूबे, कि मंजिल अपनी रूठ गई  

न क़ाबे का ही ज़िक्र किया, न नाम लिया बुतखानों का