Monday, 21 March 2016

दोस्ती Hindi Love and Pyar Shayri

Hindi Love and Pyar Shayri दोस्ती Shyari 


Hindi Love and Pyar Shayri : मेरी आंखो मे ना खोजा करो तुम खुद को..!! क्योकि 
मेरे दिल मे तुम रहते हो खवाब की तरह ....!!!



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इस उम्मीद से मत फिसलो, 
कि तुम्हें कोई उठा लेगा
सोच कर मत डूबो दरिया में, 
कि तुम्हें कोई बचा लेगा
ये दुनिया तो एक अड्डा है तमाशबीनों का दोस्त,
गर देखा तुम्हें मुसीबत में तो, 
यहां हर कोई मज़ा लेगा...

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दोस्ती से कीमती..   
दोस्ती से कीमती कोई जागीर नही होती;    
दोस्ती से खूबसूर्त कोई तस्वीर नही होती;     
दोस्ती यूँ तो कचा धागा है मगर;    
इस धागे से मजबूत कोई ज़ंजीर नही होती!

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लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नाम से
कि....
जिसने तुम्हे देखा भी नही, 
उसने भी तेरी तारीफ कर दी..

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"इस होली मेँ ऐसा 'गुलाल' हो जाये...!
जिससे अपनी 'रुह' तक लाल हो जाये...!!
तुझमेँ दिखे तो सिर्फ़ 'राधिका' दिखे...!!!
मेरा रोम-रोम 'गोपाल' हो जाये"....!!!!

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" कान्हा के होठों पे देखो क्या खुशनुम़ा है बंशी ,
  बंशी पे होठ फ़िदा हैं या होठों पे फ़िदा है बंशी "|
    राधे राधे जय श्री राधे >>>
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रूह मेरी.. इश्क़ तेरा,
जाँ मेरी... जिस्म तेरा,,
जन्नत मिले .. पहलु में तेरे,
बाहें तेरी .. और सुकून मेरा,,|

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आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.

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खुदा को याद करूँ यां याद करूँ तुम्हे 💕
ज़र्रे ज़र्रे में वो है और कतरे कतरे में तुम...!!!

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कुछ हँस के बोल दिया करो,
कुछ हँस के टाल दिया करो,
यूँ तो बहुत परेशानियां है तुमको भी मुझको भी,
मगर कुछ फैंसले वक्त पे डाल दिया करो ।।

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खुल जाता है उस की यादों का बाज़ार सुबह सुबह,
बस मेरा दिन इसी रौनक में गुज़र जाता है ।

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आँखों से दूर दिल के करीब था,
में उस का वो मेरा नसीब था.
न कभी मिला न जुदा हुआ,
रिश्ता हम दोनों का कितना अजीब था.

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खुदा को याद करूँ यां याद करूँ तुम्हे 💕
ज़र्रे ज़र्रे में वो है और कतरे कतरे में तुम...!!!

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रात गुम सुम है मगर खामोश नही,
कैसे कह दूँ आज फिर होश नही,
ऐसे डूबा हूँ तेरी आँखों की गहराई में,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही।

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शायरी कहां वो बिखरे अल्फाज़ थे 
तेरी वाह वाही ने संवारा था जिनको 

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सुलझ जायेगी तो सिमटने लगेगी..
चल कुछ बातें उलझी ही रहने दे
न वज़ह ढूंढ , न अंजाम तक जा
बस इस कारवां को यूं ही बहने दे...

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"रब"  ने नवाजा   हमें  जिंदगी देकर;
और  हम  "शौहरत"  मांगते   रह   गये;
जिंदगी  गुजार  दी  शौहरत  के  पीछे;
फिर   जीने   की  "मौहलत"   मांगते   रह गये।
ये   कफन ,  ये जनाज़े,   ये   "कब्र" सिर्फ  बातें   हैं मेरे   दोस्त,,,
वरना   मर   तो   इंसान   तभी   जाता  है जब  याद  करने  वाला  कोई   ना हो...!!

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ये  समंदर   भी  तेरी   तरह.  खुदगर्ज़ निकला, 
ज़िंदा  थे  तो  तैरने  न  दिया और मर  गए   तो   डूबने  न  दिया . . 
क्या  बात   करे   इस   दुनिय  की 
"हर  शख्स के   अपने  अफसाने  हैं"
जो   सामने  हैं  उसे   लोग  बुरा   कहतें  हैं,
जिसको देखा  नहीं   उसे   सब   "खुदा"  कहते   हैं.!!!

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नसीब नसीब की बात होती है...
कोई नफरत देकर भी बेपनाह प्यार पाता है...
और कोई बेपनाह प्यार देकर भी यहाँ...
बस खाली हाथ रह जाता है...


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