Romantic Shayari in Hindi
Romantic Shayari in Hindi- तमन्ना हो अगर मिलने की, तो हाथ रखो दिल पर …
हम धड़कनों में मिल जायेंगे ..
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कुछ बातो का जवाब सिर्फ ख़ामोशी होती है,
और सिर्फ ख़ामोशी ही सबसे खूबसूरत जवाब है
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दूर होकर करीब रहना,
नज़ाकत है मेरी..
याद बनकर आँखों से बहना,
शऱारत है मेरी...
करीब ना होते हुए भी,
करीब पाओगे..
क्योंकि
एहसास बनकर दिल में रहना,
आदत है मेरी..
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जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है!
कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!
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न दीपक नहीं चाँदनी पर भरोसा
मैं करके चली थी किसी पर भरोसा
चलो पत्थरों को भी अब आज़माएँ
बहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
वो करता रहा इसलिए ज़ुल्म मुझ पर
उसे था मेरी ख़ामुशी पर भरोसा
भरोसे के क़ाबिल तो बस मौत ही है
न कर बेवफ़ा ज़िन्दगी पर भरोसा
मैं ख़ुद पर भरोसा नहीं रख सकी जब
तो करने लगी हर किसी पर भरोसा
अँधेरा हुआ तब उसे नींद आई
जिसे था बहुत रौशनी पर भरोसा
दिखावे से लबरेज़ थी तेरी महफ़िल
मैं करके लुटी सादगी पर भरोसा
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वो पथ क्या पथिक कुशलता क्या
जिस पथ में बिखरे शूल न हों
नाविक की धैर्य कुशलता क्या
जब धाराएँ प्रतिकूल न हों .....
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ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिटाते रहे
थी वहीँ वो खड़ी इक हसीं ज़िन्दगी हम उससे मगर दूर जाते रहे
रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे
आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे
बिखरे-बिखरे थे मेरे वो सब फासले हम करीने से उनको सजाते रहे
अब समेटेंगे हम अपनी नज़दीकियाँ दूरियों को गले से लगाते रहे
वो पेड़ों के झुरमुट से अहसास थे और ख्वाबों की बेलें लिपटती रहीं
हम हक़ीक़त के हाथों यूँ मरते रहे बढ़ के पेड़ों से बेलें हटाते रहे
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सूरत कुछ...सीरत कुछ और बताते हैं.....
अंधेरा "दिल" में है, और "दीये" मन्दिरों में जलाते हैं..
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दूर होकर करीब रहना,
नज़ाकत है मेरी..
याद बनकर आँखों से बहना,
शऱारत है मेरी...
करीब ना होते हुए भी,
करीब पाओगे..
क्योंकि
एहसास बनकर दिल में रहना,
आदत है मेरी..
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काश…!! एक खवाहिश पूरी हो इबादत के बगैर…!!!
वो आ कर गले लग जाये
मेरी इजाजत के बगैर!!
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जेबों में नहीं, सिर्फ गरेबान में झाँको।।
यह दर्द का दरबार है बाज़ार नहीं है।।
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थमा कर नीम हम को वो चन्दन ले गया..
वो अपन सारे कारोबार को लंदन ले गया..
जो छाती ठोक कर कहते थे काला धन लाएंगे..
उन्ही के नाक के नीचे से सफेद धन ले गया..
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यूँ तो कहने को बहुत सी बातें हैं इस दिल में ...........!
कुछ लफ़्जों में कह दूँ....
मेरी आखिरी ख्वाहिश हो तुम
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न दीपक नहीं चाँदनी पर भरोसा
मैं करके चली थी किसी पर भरोसा
चलो पत्थरों को भी अब आज़माएँ
बहुत कर लिया आदमी पर भरोसा
वो करता रहा इसलिए ज़ुल्म मुझ पर
उसे था मेरी ख़ामुशी पर भरोसा
भरोसे के क़ाबिल तो बस मौत ही है
न कर बेवफ़ा ज़िन्दगी पर भरोसा
मैं ख़ुद पर भरोसा नहीं रख सकी जब
तो करने लगी हर किसी पर भरोसा
अँधेरा हुआ तब उसे नींद आई
जिसे था बहुत रौशनी पर भरोसा
दिखावे से लबरेज़ थी तेरी महफ़िल
मैं करके लुटी सादगी पर भरोसा
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ज़िन्दगी के लिए कुछ नए रास्ते हम बनाते रहे फिर मिटाते रहे
थी वहीँ वो खड़ी इक हसीं ज़िन्दगी हम उससे मगर दूर जाते रहे
रात रोई थी मिल के गले चाँद से और अँधेरे अँधेरा बढ़ाते रहे
आँखें बुझने लगीं हैं चकोरी की अब दूर तारे खड़े मुस्कुराते रहे
बिखरे-बिखरे थे मेरे वो सब फासले हम करीने से उनको सजाते रहे
अब समेटेंगे हम अपनी नज़दीकियाँ दूरियों को गले से लगाते रहे
वो पेड़ों के झुरमुट से अहसास थे और ख्वाबों की बेलें लिपटती रहीं
हम हक़ीक़त के हाथों यूँ मरते रहे बढ़ के पेड़ों से बेलें हटाते रहे
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कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत मैं बेवफा नहीं..
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जिन्हें फ़िक़र थी कल की,
बेवजह वो रोए रात भर...
जिन्हें यक़ीं खुदा पर
चैन से वो सोए रात भर ...!!
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कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते भी,
जो आवाज़ तुम ना दो तो बोलते वो भी नहीं !!
आपने मेरी कई ग़जलों को यहाँ जगह दी है....आपका शुक्रिया...लेकिन अच्छा होता अगर आप हमारा नाम भी देते....
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